नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन पेश कर दिया। इस बिल के तहत भारतीयों का सेंसटिव डेटा भारत में ही स्टोर करना होगा, लिमिटेड डेटा को ही विदेश में स्टोर किया जा सकेगा। सरकारी एजेंसियों को निजी और संवदेनशील डेटा को एक्सेस और कलेक्ट करने का अधिकार मिल जाएगा। हालांकि विपक्ष की आपत्तियों के बाद इसे संसद की ज्वाइंट सेलेक्शन कमेटी के पास अध्ययन के लिए भेज दिया गया है। अब बजट सत्र से पहले कमेटी बिल पर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
बिल के प्रावधान के मुताबिक सरकार किसी भी इंटरनेट सोशल मीडिया प्रोवाइडर (गूगल, ट्विटर, एमेजॉन, फेसबुक, व्हाट्सऐप, फ्लिपकार्ट और एपल जैसी कंपनियों) से डेटा हासिल कर सकेगी। इंडस्ट्री के जानकारों की मानें तो नए बिल से गूगल और अमेजन जैसे कंपनियों को बायोमेट्रिक डेटा हासिल करना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में वॉयस असिस्टेंस आधारित सेवाएं जैसे एलेक्सा और गूगल होम, गूगल ट्रांसलेट काम करना बंद कर सकते हैं। अमेजन वॉयस कमांड के आधार पर शॉपिंग की सुविधा शुरू करने जा रही है, जिस पर नए बिल का सीधा असर देखा जा सकेगा।
टेक कंपनियां एआई और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल कर इन सुविधाओं को और उन्नत बनाने की कोशिश में हैं। इस बिल से भारत में इनकी योजनाओं को झटका लग सकता है। नए बिल के क्लॉज 92 में स्पष्ट किया गया है कि कोई फर्म या फिर कंपनी बायोमेट्रिक डेटा नहीं ले सकेगी, जब तक उसे सरकार की तरफ से इजाजत नहीं मिल जाती है।
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