पाकिस्तानी डेवलपर से 2500 रुपए में खरीदा गया है Mitron ऐप का सोर्स कोड, कंपनी यह कोड लगभग 277 लोगों को बेच चुकी है

पिछले महीने टिकटॉक को टक्कर देने के लिए लॉन्च हुआ Mitron ऐप अब विवादों में है। रिपोर्ट के मुताबिक, इसे भारत में नहीं बनाया बल्कि एक पाकिस्तानी सॉफ्टवेयर डेवलपर कंपनी Qboxus से खरीदा गया है, वहीं इसे TicTic ऐप का रीब्रांडेड वर्ज़न भी कहा जा रहा है जिसे इसी कंपनी ने बनाया है। हालांकि भारतीय मूल का ऐप कहलाने के कारण इसे बड़े पैमाने पर डाउनलोड किया जा रहा है। Qboxus के संस्थापक का कहना है कि उन्होंने ऐप के सोर्स कोड को मित्रों के निर्माता को 34 डॉलर यानी लगभग 2,500 रुपए में बेचा है और इसे कोई भी खरीद सकता है।

अबतक 277 लोग खरीद चुके हैं कोड

  • TicTic ऐप बनाने वाली कंपनी Qboxus के संस्थापक और सीईओ इरफान शेख ने बताया कि उन्होंने ऐप के सोर्स कोड को Mitron के निर्माता को 34 डॉलर यानी लगभग 2,500 रुपए में बेचा है और इसे कोई भी खरीद सकता है। शेख ने आगे बताया कि उनकी कंपनी सोर्स कोड बेचती है, जिससे खरीदार ऐप को कस्टोमाइज़ करते हैं। अभी तक 277 यूजर्स ने इस ऐप का सोर्स कोड खरीद लिया है जो कि CodeCayon प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।
  • उन्होंने आगे कहा, 'डेवलपर ने जो किया है, उससे कोई समस्या नहीं है। उन्होंने स्क्रिप्ट के लिए पैसा दिया है और इसका इस्तेमाल किया, जो ठीक है। लेकिन, समस्या उन लोगों से हैं, जो इसे एक भारतीय-निर्मित ऐप बता रहे हैं, जो पूरी तरह से सच नहीं है, क्योंकि डेवलपर्स ने इस ऐप में कोई बदलाव नहीं किया है।'
  • मामला सुर्खियों में आने के बाद कई इन्फोर्मेशन सिक्युरिटी रिसर्चर्स ने दोनों ऐप्स के API और कोड की जांच की तो पता चला कि दोनों ही ऐप्स के API एक जैसे ही हैं जो कि अलग-अलग सर्वर से होस्ट किए जा रहे हैं। जिससे ये बात साफ है कि इस देसी शॉर्ट वीडियो मेकिंग ऐप Mitron को QBoxus के सोर्स कोड का इस्तेमाल करके ही डेवलप किया गया है। QBoxus की टीम के मुताबिक, उनका बिजनेस मॉडल लोकप्रिय ऐप्स को क्लोन करके इसके सोर्स कोड को सस्ती कीमत में उपलब्ध कराना है। उन्होंने ये भी दावा किया कि TicTic के सोर्स कोड के 277 कॉपी उन्होंने क्लोन करके बेचे हैं।

दावा किया जा रहा था कि IIT रुड़की के छात्र ने इसे बनाया है

  • मित्रोंं के निर्माता की पहचान की अभी भी पुष्टि नहीं हुई है, हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि यह आईआईटी रुड़की के एक छात्र द्वारा बनाया गया था। गूगल प्ले पर मित्रों ऐप डेवलपर का वेब पेज एक वेबसाइट shopkiller.in पर ले जाता है, जो एक खाली पेज है।

समस्याओं से भरा है ऐप

  • ऐप में किसी प्रकार की प्राइवेसी पॉलिसी भी नहीं है, इसलिए जो लोग इसके लिए साइन-अप कर रहे हैं और अपने वीडियो अपलोड कर रहे हैं - उन्हें पता नहीं है कि उनके डेटा के साथ क्या किया जा रहा है। यदि ऐप द्वारा मांगी जाने वाली अनुमतियों को देखा, तो ये बहुत सारी हैं।
  • ऐप को मिले अधिकांश रिव्यू के अनुसार, इस ऐप का वास्तविक अनुभव बग्स (समस्याओं) से भरा हुआ है। आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि बग्स की रिपोर्ट करने वाले यूज़र्स ने रिव्यू में ऐप को ज्यादा रेटिंग भी दी है और इसके पीछे का कारण ऐप का भारतीय होना बताया है। इसलिए अब इस बात का सामने आना कि यह ऐप एक पाकिस्तानी डेवलपर से खरीदा गया है, निश्चित तौर पर रेटिंग में गिरावट का कारण बन सकता है।


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भारत में मित्रों ऐप को टिकटॉक के कॉम्पिटीटर के रूप में देखा जा रहा था, इसे 50 लाख यूजर्स डाउनलोड कर चुके हैं


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