गैजेट डेस्क. आपके मोबाइल पर आउटगोइंग कॉल की घंटी कितनी देर तक बजनी चाहिए, इसे लेकर देश की टेलीकॉम कंपनियों के बीच जंग छिड़ गई है। दरअसल, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने जियो की देखादेखी अपने नेटवर्क से आउटगोइंग कॉल्स की घंटी बजने का समय 45 सेकंड घटाकर 25 सेकंड कर दिया है। इन कंपनियों का कहना है कि आउटगोइंड कॉल के रिंग की अवधि कम से कम 30 सेकंड ही होनी चाहिए। आउटगोइंग कॉल का अंतरराष्ट्रीय मानक समय 15 से 20 सेकंड है, जबकि देश में 45 सेकंड की समय सीमा निर्धारित है। दूरसंचार नियामक (ट्राई) ने सभी ऑपरेटरों को इस मामले का हल निकालने के लिए 14 अक्टूबर को बुलाया है। जंग की शुरुआत जियो द्वारा आउटगोइंग कॉल की घंटी बजने की समय सीमा एक महीने में दो बार घटाने से हुई। पहले 30 से 25 सेकंड और फिर 20 सेकंड। एयरटेल और वोडाफोन का कहना है कि जियो द्वारा रिंग टाइम कम रखने से उसे नुकसान उठाना पड़ रहा है।
एयरटेल ने जियो पर आरोप लगाया है कि जियो ने रिंग टाइम इसलिए कम किया है ताकि वह इंटरकनेक्ट यूजेज चार्जेस (आईयूसी) को अपने हिसाब से तय कर सके। उधर, जियो का कहना है कि घंटी का समय अधिक रखने से स्पेक्ट्रम की बर्बादी होती है। एयरटेल का कहना है कि छोटी रिंग अलर्ट से मिस्ड कॉल्स की संख्या बढ़ती है। इससे जियो के नेटवर्क पर ज्यादा रिटर्न कॉल्स आती हैं। एयरटेल का दावा है कि इससे दूसरी टेलीकॉम कंपनियों के मुकाबले जियो को इंटरकनेक्ट यूजेज चार्जेस पेआउट कम करने में मदद मिलती है। जियो ने एयरटेल के आरोप का खंडन करते हुए कहा कि 15-20 सेकंड की कॉल ड्यूरेशन ग्लोबल स्टैंडर्ड के मुताबिक है।
सितंबर की बैठक में रिंग टाइम 30 सेकंड रखने पर सहमति बनी थी
इस मामले में दूरसंचार कंपनियों की 6 सितंबर को ट्राई के साथ बैठक हुई थी। इस बैठक में एयरटेल, वोडाफोन, बीएसएनएल और एमटीएनएल ने न्यूनतम रिंग टाइम को 30 सेकंड रखने पर सहमति जताई थी। इन कंपनियों का कहना था कि यह उपभोक्ता और नेटवर्क दोनों के हित में है। इस मामले में ट्राई 14 अक्टूबर को बुलाए गए ओपन हाउस फोरम में अंतिम फैसला लेगा।
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